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नेता जी, दिक्कत फटी जींस नहीं, आपकी फटी सोच है!

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क्या आपको पता है कि मौजूदा समय में समाज के विघटन यानी सोसायटल ब्रेकडाउन और ड्रग के बढ़ते सेवन की वजह क्या है? रिप्ड यानी फटी जींस, खासकर लड़कियों का ये फटी जींस पहनना। नहीं, नहीं ये खुलासा किसी वैज्ञानिक शोध में नहीं हुआ है बल्कि इस दिव्य ज्ञान का स्रोत हैं उत्तराखंड के नए-नवेले सीएम तीरथ सिंह रावत। एक वर्कशॉप में उन्होंने कहा, ‘खुले घुटने दिखाओ। फटी जींस पहनो। अमीर बच्चों जैसे दिखो। ये तो संस्कार दिए जा रहे हैं। ये घर से नहीं, तो कहां से आ रहा है? इसमें टीचर या स्कूल की क्या गलती है? मैं अपने बेटे को किधर ले जा रहा हूं, फटी जींस में घुटने दिखाने? वहीं लड़कियां भी पीछे नहीं हैं, वे भी फटी जींस पहनकर अपने घुटने दिखा रही हैं। क्या ये अच्छा है? आज जबकि पश्चिमी देश हमारा अनुसरण कर रहे हैं, योग कर रहे हैं, अपने शरीर को पूरी तरह से ढक रहे हैं, हम नग्नता की ओर भाग रहे हैं।’ यही नहीं, सीएम साहब ने एक वाकया भी सुनाया, जब वह एक एनजीओ चलाने वाली महिला को फटी जींस पहने देखकर दंग रह गए थे। वह सवाल करते हैं, अगर ऐसी महिलाएं समाज में लोगों से मिलने जाएंगी और उनकी समस्याएं सुलझाएंगी, तो हम अपने समाज और बच्चों को क्या संदेश देंगे? सीएम साहब के मुताबिक, समाज इसीलिए टूट रहा है, क्योंकि मां-बाप बच्चों के लिए गलत उदाहरण सेट कर रहे हैं। इसी वजह से ड्रग सेवन भी बढ़ रहा है।

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जींस-स्कर्ट से नेताओं की दुश्मनी है पुरानी
सीएम साहब के इस ताजे-ताजे बयान से लोग काफी हैरान हैं कि अभी थोड़े दिन पहले ही तो हम इंटरनैशनल विमंस डे मना रहे थे। औरतों की आजादी और उनके खुलकर जीने की बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे और अभी हफ्ता भर ही हुआ कि हमारे माननीय नेतागणों की सोच वापस औरतों के कपड़ों और जींस पर अटक गई। सोशल मीडिया पर उनके इस बयान पर काफी विरोध भी जताया जा रहा है। वैसे हमारे देश के नेताओं की लड़कियों की जींस, स्कर्ट वगैरह से पुरानी दुश्मनी है। गाहे बगाहे ये किसी नेता, किसी एमएलए, किसी पंचायत की आंख में खटकती ही रहती हैं। इससे पहले भी गोवा के पूर्व डिप्युटी चीफ मिनिस्टर सुदीन धवलीकर ने नाइट क्लबों में लड़कियों के शॉर्ट स्कर्ट और सी-बीच पर बिकनी पहनने पर बैन लगाने की बात की थी। उनका कहना था कि लड़कियों का नाइट क्लबों में शॉर्ट स्कर्ट पहनना गोवा की संस्कृति के लिए खतरा है। अलवर के पूर्व बीजेपी विधायक बनवारी लाल सिंह ने भी राजस्थान के सभी सीबीएसई स्कूलों में स्कर्ट पर बैन लगाने की मांग की थी। और तो और, अभी पिछले हफ्ते ही मुजफ्फरनगर की एक पंचायत ने लड़कियों के जींस और स्कर्ट पहनने पर रोक लगाने का फरमान जारी किया है। पीपलशाह गांव की इस पंचायत ने जींस-स्कर्ट पहनने वालों का बायकॉट करने की बात कही है। उनका तर्क भी यही है कि जींस, स्कर्ट से हमारी भारतीय संस्कृति खराब हो रही है।

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क्या इतनी कमजोर हैं संस्कृति की जड़ें
अब सोचने वाली बात ये भी है कि क्या हमारी भारतीय संस्कृति की जड़ें वाकई इतनी कमजोर हैं कि फटी जींस या छोटी स्कर्ट पहनने से हिल जाए? क्या वाकई इन कपड़ों में इतनी ताकत है कि ये छेड़छाड़ से लेकर ड्रग्स की बिक्री तक बढ़ा सकती हैं? या असल में ये सिर्फ इन संस्कृति के ठेकेदारों के लिए अपनी दिमाग की फटी हुई सोच में पैबंद लगाने का सस्ता जरिया है, जिसकी आड़ में ये अपने मन की भड़ास निकालते रहते हैं। सिर्फ नेता, विधायक या पंचायतें ही नहीं, कई बार तो हमारे-आपके बीच की राह चलती कोई औरत, पड़ोस वाली आंटी तक इन कपड़ों को हथियार बनाकर लड़कियों पर निशाना साध देती है। जैसे पिछले साल कन्नड़ अभिनेत्री संयुक्ता हेगड़े के साथ हुआ। संयुक्ता को स्पोर्ट्स ब्रा पहनकर एक्सरसाइज करने पर फब्तियों-तानों के साथ मारपीट तक का सामना करना पड़ा। इसी तरह, गुड़गांव के शॉपिंग मॉल में एक अधेड़ उम्र की महिला ने वहां मौजूद दो लड़कियों को छोटे कपड़े पहनने पर उनका रेप कर दिए जाने की वीभत्स बात कही। यही नहीं, उस महिला ने वहां मौजूद लड़कों से भी कहा कि अगर आप छोटे कपड़े पहने लड़कियों को देखें, तो उनका बलात्कार कर दो। कोलकाता में टीशर्ट और स्कर्ट पहनकर शॉपिंग करने वाली एक 25 वर्षीय लड़की को भी एक महिला ने धमकी देते हुए कहा कि तुम्हारा तो रेप होना चाहिए। जब लड़की ने इसका विरोध किया, तो उसके साथ मारपीट भी की गई।

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ऐसे में, सवाल तो ये भी उठता है कि क्या ये मोरल पुलिसिंग हमारी संस्कृति है? हमारे देश के संविधान ने हर मर्द, हर औरत को अपनी मर्जी से जीने की आजादी दी है, फिर लड़कियों के कपड़ों के चुनाव पर बार-बार सवाल क्यों? और कब तक?

इस मामले में आपकी राय क्या है? अपने जवाब हमें nbtmeribaat@gmail.com पर ईमेल करें। साथ में अपनी एक फोटो भी जरूर भेजें। ईमेल के सब्जेक्ट में लिखें- jeans


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